अभय सिंह चौहान
राजस्थान में भजनलाल सरकार को उन्ही के मंत्री किरोड़ी लाल मीणा सरकार बनने के बाद से ही लगातार कटघरे में खड़ा कर रहे हैं,अब प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ भी सत्ता के साथ तालमेल नहीं बैठा पा रहे हैं साथ ही केंद्र के इशारे पर नौकरशाह अफ़सर पहले से मुख्यमंत्री भजनलाल के कामों में रोड़ा अटका रहे हैं ,कुल मिलाकर राजस्थान में सत्ता पर संगठन और नौकरशाह भारी पड़ रहे हैं , इसका ताज़ा उदाहरण आरएएस मेंस परीक्षा की तिथि आगे बढ़ाने को लेकर मंत्री किरोड़ी लाल मीणा,भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ,दोनों उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा के आश्वासनों के बाद भी अफ़सरों के दबाव के चलते आरएएस मेन्स परीक्षा की तिथि आगे नहीं बढ़ा पायी,मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री स्वयं तिथि बढ़ाने के पक्ष में थे लेकिन अफ़सरों के दबाव के आगे यह तिथि आगे नहीं बढ़ पाई हालाँकि धरना दे रहे परीक्षार्थियों में फूट के चलते हैं धरना अपने किसी मुक़ाम पर नहीं पहुँच पाया लेकिन सवाल यह उठता है कि धरना दे रहे परीक्षार्थियों को धन कहाँ से प्राप्त हुआ और धरना देने वालों को ख़ुद भाजपा के मंत्री और प्रदेशाध्यक्ष कैसे हवा दे रहे थे ?
जब प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ धरना स्थल पर परीक्षा की तिथि आगे बढ़ाने को लेकर मुख्यमंत्री से बात करने का आश्वासन देकर आ गए थे तो मुख्यमंत्री से मुलाक़ात क्यों नहीं हो पाई है क्या बिना मुलाक़ात किए ही मदन राठौड़ ने अपनी तरफ़ से परीक्षा की तिथि आगे बढ़ाने का आश्वासन दे दिया या नौकरशाह अफ़सरों के आगे मुख्यमंत्री ने घुटने टेक दिए वही हनुमान बेनीवाल की रैली के बाद हुए भाषण में कमिशनर बीजू जॉर्ज जोसफ का भाषण होना भी अफ़सरशाही पर सवालिया निशान लगाता संभवतः यह पहली बार हुआ है कि किसी कमिशनर ने रेली में भाषण देकर सरकार से बात करने का आश्वासन आंदोलन कारियों को दिया हो !
इधर एसआई भर्ती परीक्षा रद्द करने को लेकर चल रहे धरने में मंत्री किरोड़ी लाल मीणा का जाना और उनका समर्थन करना है,सवाल पैदा कर रहा है कि जब मामला राज्य सरकार कोर्ट में ले जा चुकी है तो मंत्री को दख़ल देने की आवश्यकता क्यों पड़ रही है ?
आईएएस तबादला सूची जारी नहीं होने पर भी उठ रहे सवाल ?
इस तरह के धरने हर सरकार में चलते आए हैं लेकिन बहुत कम देखने को मिलता है कि सत्ताधारी पार्टी के मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष ही आंदोलनकारियों को हवा दे कर मुख्यमंत्री की छवि को ख़राब करने का प्रयास कर रहे हो और मुख्यमंत्री उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं यह सत्ता के लिए शुभ संकेत नहीं है सत्ता और संगठन में खिंचाव के चलते अफ़सरशाही हावी हो रही है,आईएएस अधिकारियों की तबादला सूची पिछले छह माह से अटकी पड़ी है लेकिन अफ़सरों की तानाशाही के चलते यह सूची जारी नहीं हो पा रही है मिली जानकारी के अनुसार इसमें उच्च प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत के चलते यह सूची जारी नहीं हो पा रही है !