*बनाना था जयपुर को साफ़ सफाई में ब्रांड ,ब्रांड एंबेसडर बना कोन ?*
*मानसून शुरू होने के बाद स्वायत्त शासन विभाग ने अब एडवाइजरी जारी कर की इतिश्री !*
*अभय सिंह चौहान*
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) पर होने वाले योग कार्यक्रम को ज्यादा से ज्यादा प्रमोट करने के लिए राज्य सरकार के आयुष विभाग ने जयपुर नगर निगम ग्रेटर की मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर को ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया है। मेयर की ये नियुक्ति 21 जून तक के लिए की गई है, ज्ञातव्य है कि लगभग पाँच वर्ष पूर्व महापौर की शपथ लेते समय अपने बयानों में ग्रेटर नगर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर ने जयपुर को साफ़ सुथरा रखने में अव्वल रखने और ब्रांड बनाने का दावा किया था लेकिन उनकी दिलचस्पी जयपुर को ब्रांड बनाने की जगह ख़ुद को ब्रांड बनाने में ज़्यादा रही इसी का परिणाम निकला की हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी समय पर नालों की सफ़ाई नहीं होने के कारण पहली बारिश में ही नाले उफान मारने लगे !
शहर की भोली भाली जनता हर चुनावों में यह कहती आयी है कि हमारे बाप दादा जिस पार्टी को वोट देते हैं उसे ही हम देंगे,इसी का लाभ उठाते हुए राजस्थान में दोनों पार्टियां एक बार मैं एक बार तू की तर्ज़ पर सरकार बनाती आई है दोनों पार्टियों को राज्य और शहरों के विकास से कोई लेना देना नहीं है पूर्ववर्ती कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने जयपुर को यह सोच कर दो निगमों में बाँटता था कि इससे कार्य कुशलता बढ़ेगी साथ ही अधिक से अधिक जन प्रतिनिधियों को जनता की सेवा करने का मौक़ा मिलेगा, लेकिन महापौर सहित सभी पार्षदों ने इस मौक़े का फ़ायदा सड़कों के गड्ढे भरने करने की जगह है अपनी जेबें भरने में उठाया ,जयपुर को बर्बाद करने के लिए यह निगम पूरी तरह से आत्म निर्भर है। निगमों के पास जितने महिने बाक़ी बचे हैं वह सिर्फ़ दोनों हाथों से दौलत कमाने के लिए हैं। विकास हो या विनाश !
निगमों के कर्मचारियों को सिर्फ़ पैसा बटोरने से मतलब है। क्या करने से कितना पैसा कूटा जा सकता है बस यही मूल मंत्र बन चुका है।
जयपुर शहर की बरबादी में जीतना हाथ अधिकारी-कर्मचारियों का है उससे अधिक हाथ महापौर और पार्षदों का है , इस बार दोनों निगमों ने मिलकर शहर की बर्बादी के सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले ,”चोर चोर मौसेरे भाई”वाली कहावत चरितार्थ हो गई।
मंगलवार को मानसून ने पहला ही झटका दिया कि शहर के नाले उफान मारने लगे,ग्रेटर नगर निगम पानी-पानी हो गया,सड़कें एक ही घंटे में पानी में तैरने लगीं।
नगर निगम के बेशर्म अधिकारियों की करतूत सामने आ गई,यह तो पहली बारिश है। आगे पूरा मानसून बाक़ी है। नालों की सफ़ाई का काम फ़ाइलों में चल रहा है,सारी गंदगी नालों से निकल कर निगम प्रशासन के दिमाग़ में भर चुकी है,निगम के नेता और अधिकारी इतनी मोटी खाल के हैं कि यह मानने को तैयार नहीं कि उनकी अकर्मण्यता की वजह से थोड़ी सी बारिश में शहर का जनजीवन प्रभावित हो जाता है !
पूरे कार्यकाल में करोड़ों की विकास योजनाओं का ढिंढोरा पीटने के बाद भी हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी पहली बारिश में जयपुर की सड़कें जलमग्न हो कर अफ़सरों-नेताओं से किए गए कार्यों का हिसाब माँग रही है,पिछले कार्यकाल को गालियां बकने के बाद भी इस कार्यकाल में कोई ऐसा पुख़्ता काम नहीं हुआ कि शहर उस पर गर्व कर सके।
लगभग हर वार्ड में नगर निगम का स्थाई कार्यालय बनाने के बाद भी सुनने वाला कोई नहीं है महापौर व विधायक कार्यालय के उदघाटन तक सीमित रहते हैं इसके बाद पार्षदों को भी वहाँ बैठ कर समस्या सुनने का समय नहीं मिलता तो यह कार्यालय नशे बाज़ों का अड्डा बन कर रह जाता है और शहर को उसकी बदहाली पर रोने के लिए छोड़ दिया जाता है !
निगम की वर्तमान सत्ता के कार्यकाल का समापन होने वाला है। जिसे जितना खाना कमाना था खा लिया,आगे चुनाव में परिसीमन के बाद नए सिरे से नए नेता पार्षद बनकर आएंगे और वे भी अपनी डफली अपना राग सुनाएंगे !
तब तक क्षेत्रीय विधायक इस विकास की गंगा में डुबकी लगाएँगे और आने वाले नए पार्षदों को गंगाजल का वितरण कर उनको इस गंगा को गंदा नहीं करने का संकल्प दिलाएंगे !
*हेरिटेज पार्षद नहीं हटवा पा रहे हैं अपने क्षेत्रों से अवैध डेरीयाँ !*
जहाँ एक और जयपुर शहर की प्राइम लोकेशन चौगान स्टेडियम से हेरिटेज नगर निगम कई कार्रवाई करने के बाद भी अवैध डेयरी को नहीं हटा पाया वहीं दूसरी ओर वार्ड 53 में स्थित अवैध डेयरी की शिकायत क्षेत्रीय पार्षद द्वारा बार-बार किए जाने के बाद भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई !
*स्वायत्त शासन विभाग ने अब जारी की एडवाइजरी !*
मॉनसून शुरू होने के बाद जागे स्वायत्त शासन विभाग ने बुधवार को एडवाइजरी जारी कर इतिश्री कर ली ,सभी नगर निगमों, निकायों ,पालिकाओं ,परिषदों के आयुक्तों ,अधिशासी अधिकारियों को नाले तथा सड़कों की सफ़ाई के साथ ही सीवर की सफ़ाई के आदेश जारी करते हुए निर्देश दिए कि
प्रत्येक शहरी स्थानीय निकाय के स्तर पर 24 घन्टे के लिये नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जावे। नियंत्रण कक्ष द्वारा अन्य विभागों जैसे- जिला प्रशासन, नागरिक सुरक्षा, पुलिस प्रशासन, राज्य आपदा प्रबन्धन सैल, सार्वजनिक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, विद्युत वितरण कम्पनियाँ, दूरसंचार विभाग / कम्पनियां, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, होम गार्ड्स, एन.सी.सी., एन.एस.एस., स्काउट आदि से समन्वय रखा जावे।
शहरी स्थानीय निकाय क्षेत्रों में स्थित समस्त नालों- नालियों में से मानसून से पूर्व / दौरान मलबा व कींचड़ की सफाई करने के पश्चात् तुरन्त उनको ढ़कने की कार्यवाही की जावे। नाले/नालियों का सफाई कार्य तथा उन्हें सुरक्षित रूप से ढकने की व्यवस्था आवश्यक रूप से पूर्ण कर ली जावे, ताकि किसी प्रकार की दुर्घटना की आशंका नहीं रहे। सीवरेज मेनहोल एवं नालियों पर कार्य हो रहा हो, तो वहाँ पर चेतावनी के बोर्ड लगवाये जावे। सीवरेज लाईन के मैनहॉल्स की सफाई करने के पश्चात् मैनहॉल्स को तुरन्त ढ़कने हेतु कार्यवाही की जावे। सड़क पर बने हुए नाला-नालियों के क्रासिंग व खुले स्थानों को फेरोकवर से तुरन्त ढ़का जावे !
अतिक्रमण के कारण नाले / नालियों का प्रवाह अवरूद्ध नहीं हो। यदि बरसाती नाले / नालियों व पानी के बहाव में कोई अतिक्रमण पाया जाता है, तो गरीब परिवारों व प्रभावित आबादी को वैकल्पिक सुरक्षित स्थान उपलब्ध करवाते हुये अतिक्रमणों को हटाया जाना सुनिश्चित किया जावे।