कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा की खाद बनाने वाली कंपनियों पर छापेमारी से पूर्व ही लिए जा चुके थे सैंपल !

 

दूसरे विभागों के कामकाज पर सवाल उठाने वाले के खुद के कृषि विभाग में कामकाज पर उठ रहे सवाल ?

  • सैंपल अमानक पाए जाने के बाद भी कई माह तक नहीं हुई कार्रवाई !

(अभय सिंह चौहान)दूसरे विभागों की पोल खोलने वाले और सरकार के कामकाज पर सवाल उठाने वाले कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के ख़ुद के विभाग में खाद बनाने वाली कंपनियों का निरीक्षण होने के बाद सैंपल अमानक पाए जाने के कई महीने बाद भी खाद बनाने वाली कंपनियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई बल्की उसके निरीक्षण का आदेश देने वाले अधिकारी को ही सस्पेंड कर दिया गया दरअसल मिली जानकारी के अनुसार डॉ. किरोड़ी लाल मीणा की छापेमारी के बाद उजागर हुई खाद बनाने वाली कंपनियों की गड़बड़ी जनवरी 2025 में ही पकड़ में आ गई थी, लेकिन विभाग ने कार्रवाई नहीं की। उल्टा उस अधिकारी को ही सस्पेंड कर दिया जिन्होंने निरीक्षण करने के आदेश दिए। मामला किशनगढ़ की ग्रीन एग्रो कंपनी का है।
दरअसल, तत्कालीन संयुक्त निदेशक (गुण नियंत्रण) गजानंद यादव ने 27 दिसंबर को अजमेर व ब्यावर जिले में चल रही खाद फैक्ट्रियों के निरीक्षण के लिए स्वयं की अगुवाई में 12 अधिकारियों की 6 टीमें बनाई थीं। इन्होंने 30 व 31 दिसंबर को अजमेर की 10 फैक्टियों से सैंपल लिए और जांच के लिए इन्हें स्टेट फर्टिलाइजर क्वालिटी कंट्रोल लेबोरेटरी भेजा।

लेबोरेटरी ने 17 जनवरी को भेजी गई जांच रिपोर्ट में किशनगढ़ की ग्रीन एग्रो कंपनी के फास्फो जिप्सम के सैंपल को अमानक बताया। इसके आधार संयुक्त निदेशक (गुण नियंत्रण) केके मंगल को कंपनी के खिलाफ उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के अंतर्गत कार्रवाई करनी थी। गौरतलब है कि मंगल की इस पद पर 15 जनवरी को ही गजानंद यादव की जगह पोस्टिंग हुई थी। यही नहीं, उन्होंने इस रिपोर्ट को विभाग को उच्च अधिकारियों और मंत्री को भी नहीं भेजा। मंत्री की छापेमारी के बाद विभाग ने उल्टा गजानंद यादव को ही सस्पेंड कर दिया। हालांकि यादव की ओर से बनाई गई 6 टीमों ने भी पर्याप्त मात्रा में खाद बनाने वाली कंपनियों से सैंपल नहीं लिए। गौरतलब है कि नकली खाद प्रकरण में राज्य कृषि सेवा के 11 अधिकारियों को 13 जून को सस्पेंड किया जा चुका है। बीटी कपास के बीज में भी सामने आया था घालमेल

इससे पहले केके मंगल पर बीटी कपास के बीजों की बिक्री में भी मनमानी करने का आरोप लग चुका है। उन्होंने कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा की मंजूरी के बिना ही बीटी कपास के बीजों की सूची में फेरबदल कर 7 किस्मों के नाम जोड़ दिए थे। मंत्री की मंजूरी के बाद विभाग ने 19 अप्रैल को 190 किस्मों को अनुमति देने की सूची जारी की थी। इनमें 7 किस्में ऐसी थीं जिन्हें श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और बीकानेर जिलों में बीज बेचने की अनुमति नहीं थी। प्रदेश में कपास की ज्यादातर फसल इन्हीं 3 जिलों में होती है। मंगल ने 1 व 2 मई को संशोधित आदेश जारी कर इन कंपनियों को पूरे प्रदेश में बिक्री की अनुमति दे दी। मामला मंत्री तक पहुंचने के बाद उन्होंने इस आदेश को रद्द कर दिया !

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि दूसरे विभागों के कामकाज पर सवाल उठाने वाले के खुद के कृषि विभाग में कामकाज पर सवाल उठ रहे हैं तो इस पर कार्रवाई करने के लिए वे कौन सा आंदोलन करेंगे ?

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